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पौड़ी गढ़वाल के खिर्सू ब्लाक के एक गांव के पास स्टोन क्रेशर लगाए जाने को लेकर ग्रामीण पिछले कई दिनों से विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना हैं कि इस प्रस्तावित स्टोन क्रेशर से उनके पेयजल स्रोत, सिंचाई नहर व मवेशियों की चारापत्ती सब कुछ खत्म हो जाएगा। इसी के साथ चमधार-देवलगढ़-बुघाणी-खिर्सू मोटर मार्ग पर काण्डा लगा रामपुर में स्टोन क्रेशर प्लांट लगने के हमारे सब कुछ पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाएगा। इसी के साथ ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल देवलगढ़, पर्यटन स्थल खिर्सू, बुघाणी की यात्रा पर इस मोटर मार्ग से यात्री आते हैं, लेकिन स्टोन क्रेशर प्लांट लगने से यात्रा प्रभावित हो जाएगी। इन सब को बचाने लिए इस क्षेत्र के लोगों लगातार आंदोलनरत है।
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इन आंदोलनरत ग्रामीणों को अब उत्तराखंड क्रांति दल का साथ मिल गया है। इस क्रम में पिछले दिनों उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय कोषाध्यक्ष मोहन काला काण्डा लगा रामपुर में स्टोन क्रेशर प्लांट का विरोध कर रहे ग्रामीणों से मुलाकत कर स्थलिय निरिक्षण किया था। इस के साथ ग्रामीणों को भरोसा दिलाया था कि उनकी इस लड़ाई में यूकेडी उनके साथ खड़ी है।
उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय कोषाध्यक्ष मोहन काला ने उत्तराखंड की वर्तमान राजनैतिक परिस्थित और पहाड़ के लोगों के प्रति राष्ट्रीय दलों के रवैय को लेकर इस मौके पर कहा कि उत्तर प्रदेश से अलग बने उत्तराखंड को 20 साल हो गए है। लेकिन विकास के नाम अन्य प्रदेशों से पिछड़ा उत्तराखंड अपने आंसू रो रहा है। इन 20 सालो में कांग्रेस व बीजेपी की सरकारें बारी-बारी से सत्ता में रही है। इन दोनों ही पार्टियों के शासन काल में कई घोटाले सामने आए है। लेकिन किसी राजनेता या माफिया को सजा मिली। खनन के मामले में नदियों के सीने चीर कर खनिज संपदा को बेचकर मुनाफा कमाया जा रहा है। इन माफियों में डर नाम की चीज नहीं है। यह बड़े अधिकारियों को वाहनों से कुचलने में गुरेज नहीं करते है। उत्तराखंड में भी आए दिन इस तरह की घटनाएं सामने आ रही है।
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उन्होंने कहा कि इसके लिए कहि न कही गलती जनता जनार्दन की भी है। हम लोग चुपचाप देख रहे हैं,लेकिन उसका विरोध नहीं करते है। विधानसभा चुनावों में इन दलों के नेताओ के लोक लुभावने वादों में आकर इन लोगो को फिर से राज्य की कमान सौंप देते है। जबकि अन्य छोटे दलों से दूरी बनाए रखते है।
श्री काला ने कहा कि इस राज्य के प्राप्ति के लिए उत्तराखंड क्रांति दल ने जो संघर्ष किया वह किसी से छिपा नही है। इसके बावजूद यूकेडी को लोग वोट देने को तैयार नहीं होते, क्योंकि यूकेडी (नोट शराब और कबाब) की राजनीति नहीं करती। फ्री की राशन व मनरेगा ने लोगों को पंगु बना दिया गया है। इसलिए लोग सरकार के योजनाओं की ओर टकटकी लगाए बैठे रहते है। लेकिन यह सब कब तक ?
आज जरूरत इस बात की हैं कि अपनी क्षेत्रीय पार्टी को आगे बढ़ाया जाया। ताकि हम अपने जल जमीन को बचाकर पर्यावरण का भी संतुल बनाने में कामयाब हो। अपने परिवेश,अपने युवाओं अपने खेत-खलिहानों और पलायन की मार झेल रहे पहाड़ों को बचा सके।
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श्री काला ने कहा कि पहाड़ों को आज विकास के नाम पर खोखला किया जा रहा है। भू-मांफिया,शराब मांफिया और स्टोन क्रेशर मांफियों ने पहाड़ को खोखला कर दिया है। लेकिन अब आवाज उठने लगी है। उत्तराखंड क्रांति दल के साथ मिलकर पहाड़ इन माफियों के खिलाफ आवाज़ उठाने लगे है।
पौड़ी गढ़वाल स्थित स्टोन क्रेशर (कांडा लगा) रामपुर देवलगढ़ में भंडारण के विरुद्ध एक जुट एक मुट होकर ग्राम सभा डुंगरिपंथ,कालियासोंड, फरासू, भरोड़ा के ग्रामीणों ने गढ़वाल मण्डल आयुक्त के यहां शिकायत दर्ज की,जिसके बाद गढ़वाल मण्ड़ल आयुक्त ने 16 अगस्त 2021 को यथास्थिति बनाये रखने के आदेश दिए है।
इस मामले को लेकर मैंने स्वयं वहां जाकर निरीक्षण किया था। उक्त स्थान पर 1500 परिवारों के लिए जलसोत्र है। लेकिन इस भंडारण के बनने के पश्चात इन 1500 परिवारों के लिए पानी प्रभावित हो जाएंगे। इसी के साथ इस स्थान के 300 मीटर पर गौरा देवी एवं राजराजेश्वरी देवी का मन्दिर स्थापित है,जो पुराणिक स्थल भी है। ऐसे में यहां यह क्रेशर के शुरू हो जाने से इन पुराणिक धरोहर पर खतरा बना हुआ है।
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इस इस क्रेशर के खिलाफ इस क्षेत्र में रह रहे ग्रामीण आक्रोशित है। उनका कहना हैं कि अगर उनके क्षेत्र में यह स्टोन क्रशर लगाने की कोशिश की जाती हैं,तो ग्रामीण एक बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। इन ग्रामीणों को उत्तराखंड क्रान्ति दल का पूरा समर्थन है। जिसने ग्रामीणों के साथ मिलकर इस क्षेत्र में स्टोन क्रशर प्लांट लगाए जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
आपको बता दे कि फरासू में करीब 130 और डुंगरीपंथ में 120 परिवारों की आजीविका खेती पर ही निर्भर है। इन ग्राम पंचायतों को खेती के क्षेत्र में सरकार पुरस्कार भी प्रदान कर चुकी हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में स्टोन क्रेशर प्लांट लगाने का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। इन ग्रामीणों को अब उत्तराखंड क्रांति दल का साथ भी मिल गया है। जिससे के बाद से क्रेशर के खिलाफ विरोध और बढ़ गया है।