
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष,स्वामी चिदानन्द सरस्वती,पंतजलि योगपीठ हरिद्वार,आचार्य बालकृष्ण,विश्व जागृति मिशन,डा.अर्चिका सुधांशु दीदी ,मण्डलायुक्त,मुरादाबाद,आज्जनेय कुमार सिंह,जिलाधिकारी,अमरोहा,निधि गुप्ता वत्स,जिलाधिकारी संभल,डा.राजेन्द्र पेंसिया,आचार्य सुमेधा,गौरव खड्डर और अन्य विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति में श्रीमद्दयानन्द कन्या गुरूकुल महाविद्यालय,चोटीपुरा अमरोहा,उत्तरप्रदेश में शिविर सम्पूर्ति सत्र का आयोजन किया गया। इस मौके पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी एवं आचार्य बालकृष्ण का उनके अतुलनीय सेवा कार्यों के लिए प्रशस्ति-पत्र भेंट कर अभिनन्दन किया गया।
- नारी,संस्कृति की संरक्षिका और समाज की आधारशिला,स्वयं को जानो,सशक्त बनो-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

कार्यक्रम में क्रांतिसूर्य,जनजातीय चेतना के अग्रदूत,भारत माता के वीर सपूत बिरसा मुंडा जी की पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन किया गया। आदिवासी अस्मिता,स्वाभिमान और स्वतंत्रता के प्रतीक बिरसा मुंडा जी का जीवन भारतीयों के लिये अन्याय के विरुद्ध संघर्ष की प्रेरणा थे।
नारी शक्ति जागरण शिविर के माध्यम से विशिष्ट विभूतियों ने नारियों को आत्मचिंतन,आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित किया। यह विशेष शिविर हमारी सनातन परंपरा में नारी के गरिमामय स्थान और वर्तमान समय में उनकी भूमिका को पुनः समझने का एक सशक्त प्रयास है। शिविर के माध्यम से विभूतियों ने आदिकाल से लेकर आधुनिक भारत तक की उन नारियों का स्मरण किया,जिन्होंने न केवल अपने परिवार को दिशा दी बल्कि समाज और राष्ट्र को भी नई प्रेरणा दी।
आचार्य सुमेधा जी की स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुये कहा कि सुमेधा जी ने अपना पूरा जीवन बालिका शिक्षा व सशक्तिरण हेतु समर्पित कर दिया। कन्याओं के जीवन को संवारना ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। उनका नेतृत्व व मार्गदर्शन पाकर आज हजारों बेटियाँ इस गुरूकुल से शिक्षा प्राप्त कर समाज को भी रोशनी प्रदान कर रही है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी केवल एक भूमिका नहीं निभाती,वह संपूर्ण संस्कृति की संवाहिका है। वह प्रेम,त्याग,सेवा और तपस्या की मूर्त स्वरूपा है। इतिहास साक्षी है कि जब-जब समाज में अंधकार छाया,तब-तब नारियों ने कभी माता सीता के रूप में,कभी मां दुर्गा के रूप में,तो कभी झांसी की रानी के रूप में उसे प्रकाश दिया।
स्वामी जी ने कहा कि जब नारी शिक्षित होती है,तो पीढ़ियाँ शिक्षित होती हैं। जब वह आत्मनिर्भर होती है,तो पूरे समाज में आत्मविश्वास जागता है और जब वह आत्मचिंतन करती है,तो एक नए युग की शुरुआत होती है। नारी सृजन की शक्ति है। वह सहनशीलता और संवेदना की प्रतीक है,लेकिन आज समय की पुकार है कि वह साहस और संकल्प की मूर्ति बनकर खड़ी हो। जब नारी शिक्षित,संस्कारित और सजग होती है,तो राष्ट्र सशक्त बनता है इसलिए सबसे पहले स्वयं को जानो,अपनी पहचान को स्वीकारो और फिर आगे बढ़ो यही वास्तव में नारी जागरण है।
आचार्य बालकृष्ण जी ने महाविद्यालय की बेटियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि स्वयं की मित्र बनो,सजग बनो,सशक्त बनो। जब नारी खुद के साथ संवाद करती है,खुद को समझती है,खुद को स्वीकारती है तभी वह सही मायनों में जागरूक होती है। स्वयं की शक्ति को पहचानना ही आत्म-सशक्तिकरण का प्रथम चरण है।

डा.अर्चिका सुधांशु दीदी जी ने कहा कि नारी शक्ति जागरण शिविर एक नई शुरुआत,एक नूतन विचार की शुरुआत की ओर एक सशक्त कदम है। इससे हमारी बटियों में एक ऐसी सोच का उदय जो उन्हें स्वयं के प्रति सजग और समाज के प्रति प्रेरित करेगा।
शिविर के दौरान विभिन्न सत्रों में नारी शिक्षा,आत्मनिर्भरता,स्वास्थ्य,कानूनी अधिकारों और डिजिटल सुरक्षा पर भी चर्चा की गई। श्रीमद्दयानन्द कन्या गुरूकुल महाविद्यालय,चोटीपुरा अमरोहा,उत्तरप्रदेश की बालिकाओं को यह संकल्प कराया गया कि वे स्वयं को कमजोर न समझें,बल्कि अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाकर समाज की दिशा बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाये। इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये।
स्वामी जी ने महाविद्यालय पदाधिकारियों और विशिष्ट अतिथियों को रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया। इस अवसर पर स्वामी जी ने स्वामी दयानंद सरस्वती जी जिन्हें पुनर्जागरण युग का हिंदू मार्टिन लूथर कहा जाता है,उनके द्वारा दिये संदेश वेदों की और लौटो और भारत की प्रभुता को समझो को दोहराते हुये कहा कि उन्होंने समाज को अभिनव राष्ट्रवाद और धर्म सुधार के लिये तैयार किया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के जीवन का उद्देश्य लोगों के शारीरिक,सामाजिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिये कार्य करना होना चाहिये। वेदों के सिद्धांतों का पालन करके हम अपने जीवन में समृद्धि और शांति प्राप्त कर सकते हैं। वेदों का मार्ग व मंत्र आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने प्राचीन समय में थे,और इन्हें अपनाकर हम अपने जीवन को सफल और समृद्ध बना सकते हैं।