Uttarakhand:-सात फीसदी तक बढ़े बिजली के दाम,कांग्रेस ने कहा-विद्युद दरों को शीघ्र वापस ले सरकार,भाजपा ने कहा-अन्य राज्यों की अपेक्षा राज्य में बिजली सस्ती,कम हुई बढ़ौतरी

0
19

उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ताओं को सरकार ने बड़ा झटका दिया है। राज्य में सात फीसदी तक बिजली के दाम बढ गए है। राज्य सरकार के बिजली बिलों में बढ़ौतरी के बाद अब घरेलू उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 49 पैसे और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को 69 पैसे प्रति यूनिट अधिक चुकाने होंगे। इसी के साथ घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं जिनका लोड चार किलोवाट तक के लिए फिक्स चार्ज में 15 रुपये प्रति किलोवाट चार किलोवाट से अधिक वालों के लिए 20 रुपये प्रति किलोवाट बढ़ा दिया है।


उत्तराखंड में बिजली के दामों में बढ़ौतरी में बाद भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने आ गए है। कांग्रेस ने भाजपा को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि बढ़े हुए दाम जल्द वापस नहीं किए गए तो,कांग्रेस बड़े आंदोलन के लिए बाद्य होगी। कांग्रेस के बयान के बाद भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि राज्य सरकार उपभोक्ताओं के हितों को लेकर सचेत है। उत्तराखंड मे अन्य राज्यों की अपेक्षा उत्तराखंड मे बिजली कि दरें सस्ती है और प्रतिवर्ष होने वाली बढ़ौतरी भी काफी कम है।
श्री चौहान ने कहा कि राज्य में बिजली की कीमत में 6.92% की बढ़ोतरी की गयी है,जो कि पिछले वर्ष की तुलना में इस साल कम है। पिछले वर्ष 2023- 24 में 9.64% की वृद्धि हुई थी।
उन्होंने कहा कि हर वर्ष बिजली की कीमत में संशोधन किया जाता है और विद्युत नियामक आयोग ने बढ़ोतरी को स्वीकृति दी है। बिजली उत्पादकों से प्राप्त बिजली के मूल्यों में हुई वृद्धि की वजह से नियामक आयोग ने वृद्धि का फैसला लिया है।
उन्होंने कहा की कांग्रेस के बयान को हास्यास्पद बताते हुए कहा कि प्रतिवर्ष विद्युत दरों मे संशोधन होता है और यह कोई नई परंपरा नही है। कोरोना काल मे भी विद्युत या अन्य वसूली मे भी सरकार ने समय सीमा मे लोगों को राहत दी है। सरकार ने आम जन की परवाह करते हुए ही विद्युत दरों मे कम वृद्धि की है। वहीं उत्तराखंड सस्ती और निर्वाध बिजली अपने निवासियों तथा औधोगिक क्षेत्र को मुहैया कर रहा है।


राज्य सरकार बढ़ी हुई विद्युत दरों को वापस ले-कांग्रेस


उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने राज्य सरकार से बढ़ी हुई विद्युत दरों को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य की गरीब जनता को एक बार फिर ठगने का काम किया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के लगभग 8 वर्षो के कार्यकाल में बार-बार विद्युत दरों को बढ़ाकर राज्य की जनता के साथ धोखा किया है।
श्री माहरा ने कहा कि कोरोना के कारण राज्य वैश्विक महामारी से जूझ रहा है,लोगों के रोजी रोजगार के साधन, व्यवसाय ठप्प पडे हुए हैं। परन्तु भाजपा की राज्य सरकार लोगों की पीडा को दर किनार करते हुए प्रत्येक क्षेत्र में मंहगाई बढ़ाने का काम कर रही है। बेरोजगारी के कारण जनता महंगाई की मार झेल रही है लोगों के पानी बिजली के दाम कम करने की बजाय भाजपा सरकार उनके दाम बढ़ा कर लोगों के घावों पर नमक छिडकने का काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य विद्युत उत्पादक राज्य के रूप में जाना जाता है यहां पर टिहरी बांध,कोटेश्वर,मनेरी-भाली सहित उत्तराखण्ड में वर्तमान में भगभग 25 जल-विद्युत परियोजना (6 मध्यम एवं 19 लघु) 2378 मेगावाट क्षमता के साथ निर्माणरत चरण में हैं,तथा 21,213 मेगावाट क्षमता वाली 197 जल-विद्युत परियोजनाएं उत्तराखंड के विभिन्न नदी घाटियों में प्रस्तावित हैं। ऐसे में जल विद्युत परियोजनाओं से राज्यवासियों को लाभ के रूप में घरेलू उपभोग के लिए मात्र 1 रूपये 50 पैसे प्रति यूनिट पर बिजली दी जानी चाहिए जो कि यहां के निवासियों का अधिकार भी है।
उन्होंने कहा कि राज्य के किसानों को खेती के लिए मुफ्त बिजली दी जानी चाहिए क्योंकि य विद्युत परियोजनाओं की लाईनों के लिए यहां के किसानों की भूमि अधिग्रहित गई है जिसका कोई भी मुआवजा भी किसानों को नहीं दिया जाता है।
माहरा ने कहा कि सरकार विद्युत उपभोक्ताओं से पहले ही मीटर चार्ज के रूप में कई वर्षों तक किराया वसूल करती है जबकि विद्युत मीटर की कीमत मात्र कुछ ही समय में पूरी हो जाती है साथ ही जमानत के रूप में कनेक्शन लेते समय मोटी रकम वसूली जाती है।
उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार बढी हुई विद्युत दरों को शीघ्र वापस लेने,राज्य के किसानों को मुफ्त बिजली देने के साथ ही उपभोक्ताओं को एक श्रेणी में लाया जाय तथा दो वर्ष बीतने के उपरान्त उपभोक्ताओं के ऊपर से फिक्स चार्ज व मीटर किराया समाप्त किया जाए।