देहरादून में विनसर पब्लिशिंग द्वारा प्रकाशित उत्तराखण्ड इयर बुक 2022 का लोकार्पण,एवं ‘गढ़वाली पाठ्य पुस्तकें’ पर हुआ विचार-विमर्श

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मनोहर चमोली ‘मनु’

प्रख्यात गढ़वाली लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने कहा कि भविष्य लोक भाषाओं का है। लोक भाषाओं को बचाए-बनाए रखने वालों के कामों से पितृ भी प्रसन्न होते हैं। श्री नेगी जी सोमवार को देहरादून में विनसर पब्लिशिंग द्वारा प्रकाशित गढ़वाली पाठ्य पुस्तकें निर्माण से जुड़े लेखकों- शिक्षकों को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर शिक्षकों ने माना किया जब तक सूबे के बच्चों की ज़ुबान पर और स्कूली बैग में आंचलिक भाषाएँ न होंगी तब तक लोक भाषाओं का विकास नहीं हो सकेगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संस्कृतिकर्मी एवं पत्रकार डॉ०योगेश धस्माना ने कहा कि दूधबोली में पढ़ाने वाले शिक्षकों की कभी नियुक्ति हुआ करती थी। कोई भाषा कैसे बचेगी? कैसे बनेगी? शिक्षा और रोजगार को जब तक भाषा के साथ समन्वय नहीं बिठाया जाएगा तब तक भाषा का सतत् संरक्षण नहीं हो पाएगा। उन्होंने कहा कि भाषा के प्रति इच्छा शक्ति का अभाव ही है कि भाषा,संस्कृति और परिवेश का उत्तराखण्ड अपनी भाषाओं में काम नहीं कर पा रहा है। भाषा के उन्नयन के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में काम करने के लिए स्कालरशिप की व्यवस्था हो। सामाजिक,सांस्कृतिक और सामुदायिक स्तर पर क्षेत्रीय भाषाओं के लिए विश्वविद्यालयों में योजनाएँ बनें।

देहरादून में आयोजित उत्तराखण्ड इयर बुक 2022 के लोकार्पण अवसर पर गढ़वाली लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने कहा कि हर नए काम में दिक्क़त आती है। थोपा हुआ काम बोझिल होता है लेकिन इन पाँच किताबों के लिख्वारों की तो यह भाषा आत्मा रही है। यह काम मील का पत्थर साबित होंगी। लेकिन सुधार के लिए तत्पर रहना चाहिए। सरकार पर दबाव का काम करते रहना होगा। अधिकांश नेता वोट की खातिर प्रतिबद्ध हैं भाषा के प्रति उनकी रुचि नहीं है। यह हम सब जानते हैं। काम का सम्मान ही बड़ी बात है। व्यक्तिगत सम्मान कोई मायने नहीं रखता। आपके काम को मान्यता मिले। वह बड़ा सम्मान है। मुझे भरोसा है कि देर-सबेर भाषाओं को सम्मान मिलेगा। आने वाला भविष्य लोक भाषाओं का है।

कार्यक्रम का संचालन एवं समन्वय करते हुए धाद पत्रिका के सम्पादक और धगुलि,हंसुलि,झुमकि, छुबकि और पैजबि पाठ्य पुस्तकों के समन्वयक गणेश खुगशाल ‘गणी’ ने कहा कि गढ़वाती भाषा पाठ्यक्रम निर्माण के समय दो साल पहले हम पौड़ी में मिले थे। डॉ.योगेश धस्माना मुख्य आतिथि नरेन्द्र सिंह नेगी,पत्रकारिता जगत के सशक्त हस्ताक्षर दिनेश शास्त्री,बच्चों की ज़ुबान पर भाषा चढ़े। इसके लिए पाठ्य पुस्तकें पत्र-पत्रिकाएँ जरूरी है। विनसर प्रकाशन के कीर्ति नवानी का सहयोग अनिवार्य रूप से रेखांकित किया जाएगा। जिलाधिकारी धीरज गर्ब्याल से 27 जनवरी 2019 को लिखना-तैयार किया। अंततः

29 जून 2019 को गढ़वाली पाठ्य पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। किताबों का भरपूर स्वागत हुआ। उन्होंने कहा कि हमें नरेन्द्र सिंह नेगी का भरपूर सहयोग रहा। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी कोविड की वजह से किताबें पाठ्यक्रम में शामिल नहीं हो पाई। एक तरफ एन.बी.टी. 50 हिन्दी से अनुदित किताबें गढ़वाली भाषा में तैयार हुईं।

इस मौके पर शिक्षक,गायक एवं गढ़वाली भाषा पाठ्यक्रम निर्माण के सदस्य गिरीश सुन्द्रियाल ने कहा प्रशासकीय,लेखकीय और प्रकाशनीय व्यवस्थाओं के साथ-साथ लोक,लोक साहित्य और लोक संस्कृति के शामिल करने की चुनौती के साथ काम हुआ। पहले कक्षा एक से पाँच तक की गढ़वाली पाठ्य पुस्तकें ब्लॉक पौड़ी के प्रत्येक स्कूल में पहुंची। तत्पश्चात जिला पौड़ी के सभी स्कूलों में पहुँची। आज गढ़वाल मण्डल के पौड़ी डायट में गढ़वाली भाषा में पाठ्य-पुस्तक लेखन का काम शुरू हुआ।

जगदम्बा प्रसाद कोटनाला ने कहा कि हमारे पास नरेन्द्र सिंह नेगी,बीना बैंजवाल ने एकरूपता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कई जानकार भाषा में काम कर रहे हैं। सब मिलकर काम करेंगे तो व्यवस्था पर दबाव बनेगा। दिनेश शास्त्री ने कहा कि बिनसर प्रकाशक अपने यौवन पर पहुँच गया है,ख़ूब बधाई। उन्होंने कहा कि हमारी जड़ें पहाड़ की हैं। विचार एक बीज है। प्रवाह बढ़ते रहना चाहिए।