Dehradun:-ग्राफिक एरा डीम्ड विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय आपदा प्रबंधन विश्व शिखर सम्मेलन-2025 तथा 20वां उत्तराखण्ड राज्य एवं तकनीकी सम्मेलन के समापन कार्यक्रम में शामिल हुए राज्यपाल गुरमीत सिंह

0
5

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह(से नि)ने रविवार को ग्राफिक एरा डीम्ड विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय आपदा प्रबंधन विश्व शिखर सम्मेलन-2025 तथा 20वां उत्तराखण्ड राज्य एवं तकनीकी सम्मेलन के समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया।

  • राज्यपाल ने किया ग्राफिक एरा डीम्ड विश्वविद्यालय में आयोजित ड्ल्यूएसडीएम-2025 का समापन।
  • पर्यावरण की समस्याओं का सभी के प्रयासों से व्यावहारिक और प्रभावी समाधान करना होगा-राज्यपाल।
  • आपदाएं सर्वव्यापी,तो समाधान भी सार्वभौमिक होने चाहिए-डॉ.अनिल जोशी,‘हैस्को’।
  • ‘टीच एंड ट्रेन योर सोसाइटी’के सिद्धांत पर कार्य करना होगा-राजेंद्र प्रसाद,एनडीएमए।
  • तीन दिवसीय सम्मेलन में देश-विदेश के विचारक,शोधकर्ता और चिंतकों ने किया विभिन्न विषयों पर चिंतन-मंथन।

राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरण प्रबंधन तथा विज्ञान और तकनीक के शोध,चिंतन-मंथन और विचार करने के लिए उपस्थित हुए सभी लोग प्रशंसा के पात्र हैं। पर्यावरण के संरक्षण से जुड़ी समस्याओं का विज्ञान और तकनीक के साथ-साथ नीतिगत,सामाजिक और संस्थागत तरीके से समाधान निकाल रहे हैं।

राज्यपाल ने कहा कि पर्यावरण जिस तरह से दूषित हो रहा है वह चेतावनी की सीमा से परे पहुंच चुका है। हम पृथ्वी और प्रकृति की चेतावनी को अनसुना ना करें,कोविड-19 ने हमें चेताया भी था कि हमको विकास के नीतिगत प्रयास करने होंगे। पर्यावरण क्षेत्र में भारी इंजीनियरिंग के स्थान पर परंपरागत और पर्यावरण अनुकूलित निर्माण को प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने कहा कि हिमालय के निवासियों को अधिक जिम्मेदारी लेनी होगी और पर्यावरण संरक्षण के आसान रास्ते तलाशने होंगे।

राज्यपाल ने सम्मेलन में भागीदारी कर रहे चिंतकों और विचारकों को पर्यावरण बचाव के ब्रांड एंबेसडर बताते हुए सभी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन ‘एक पृथ्वी,एक परिवार और एक भविष्य’की अवधारणा को आत्मसात करने का संकल्प लेने को कहा। उन्होंने पर्यावरण एवं संरक्षण के लिए जन भागीदारी बढ़ाने,पर्यावरण से जोड़ने तथा जन समुदायों के प्रशिक्षण का आह्वान किया। उन्होंने 5ई-इंगेज,एजुकेट,इनेबल,एंपावर और एक्सल के सिद्धांत को आपदा प्रबंधन के लिए उपयोगी बताया।

इस अवसर पर राज्यपाल ने विज्ञान सम्मेलन के विजेताओं को युवा वैज्ञानिक सम्मान से सम्मानित भी किया। साथ ही राज्य के 95 ब्लॉक से प्रीमियर लीग में चुनकर आए विजेताओं को भी सम्मानित किया गया। साथ ही वाटर रिसोर्सेज ऑफ हिमालय रीजन पुस्तक का विमोचन भी किया गया।

हैस्को के संस्थापक पदमश्री डॉ.अनिल प्रकाश जोशी ने अपने संबोधन में कहा कि आपदा प्रकृति की प्रतिक्रिया होती है। आज दुनिया में आपदा से कोई भी सुरक्षित नहीं। यदि किसी को लगता है कि वह आज सुरक्षित है तो तय मानिए कि कल उसके पास भी आपदा आने के पूरे आसार हैं। इसीलिए जब आपदा का प्रभाव सर्वत्र है तो  इसके निराकरण के प्रयास भी सभी को सामूहिक रूप से करने होंगे। कहा कि एक सामूहिक रोडमैप बनाने की जरूरत है, जिसमें सभी स्तर पर सभी जनमानस का योगदान सम्मिलित हो। लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। प्रकृति को दूषित करने की प्रवृत्तियों को तन- मन से छोड़ना होगा तथा अच्छी आदतों को आत्मसात करना होगा।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के एचओडी सदस्य राजेंद्र सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि भारत आपदा की दृष्टि से टॉप 10 संवेदनशील देश में शामिल है। उन्होंने कहा कि आज देश के हर नागरिक को आपदा से बचाव के तौर-तरीके जानने की आवश्यकता है तथा आपदा के जोखिम को बढ़ाने वाली छोटी-बड़ी आदतों को त्यागना होगा। उन्होंने कहा कि एनडीएमए की आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली की जानकारी देने वाला सचेत ऐप ने आपदा के दौरान बहुत जान बचाई है। उन्होंने सभी नागरिकों को सचेत ऐप को डाउनलोड करने का आग्रह किया। कहा कि सभी को टीच एंड ट्रेन योर कम्युनिटी के सिद्धांत को अपनाना होगा। इसके अतिरिक्त भूकंप रोधी निर्माण,प्लास्टिक और कूड़े का सही निस्तारण व जल संरक्षण के छोटे-छोटे प्रयासों को भी अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना होगा।

इस अवसर पर यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो.दुर्गेश पंत ने तीन दिवसीय समारोह की उपलब्धियां व सुझाव से सबको अवगत कराया। उन्होंने कहा कि 28 नवंबर को मुख्यमंत्री ने सिल्क्यारा विजय दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। साथ ही उन्होंने विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन के देहरादून डिक्लेरेशन को पढ़ा।

कार्यक्रम के समापन पर ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रो.कमल घनसाला ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि हमें सहयोग और सहभागिता के साथ आगे बढ़ना होगा और समुदायों को सशक्त बनाना होगा। इस अवसर पर संबंधित शोधकर्ता,चिंतक,विचारक और छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here