उत्तराखंड की पांच विभूतियां पद्म पुरस्कार से सम्मानित

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उत्तराखंड की पांच विभूतियों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है । राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हेस्को प्रमुख पर्यावरणविद डॉ.अनिल प्रकाश जोशी को पद्मभूषण,पर्यावरणविद कल्याण सिंह रावत ‘मैती’ और डॉ.योगी एरन को पद्श्री से सम्मानित किया। इसी के साथ चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ.भूपेंद्र कुमार सिंह और किसान प्रेम चंद शर्मा को पद्श्री सम्मान प्रदान किया गया।

आपको बता दें कि साल 2020 के पद्मश्री पुरस्कार लिए नामित दोनों हस्तियों को कोरोना संक्रमण के कारण पुरस्कार नहीं मिल पाया था। इसलिए वर्ष 2021 में ही दोनों साल के पद्म विजेताओं को एक साथ सम्मानित किया गया।  

पर्यावरणविद डॉ.अनिल प्रकाश जोशी अनिल जोशी पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने हिमालयन पर्यावरण अध्ययन एवं संरक्षण संस्थान (हैस्को) की स्थापना है। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2006 में पद्मश्री सम्मान प्राप्त हुआ।

अनिल जोशी का जन्म स्थान पौड़ी जनपद के कोटद्वार में हुआ। उन्हें स्नातकोत्तर की डिग्री वनस्पति विज्ञान में हासिल की और डाक्टरेट की उपाधि इकोलॉजी में ली।

श्री जोशी ने अपने कॅरियर की शुरूआत 1979 में कोटद्वार डिग्री कॉलेज में बतौर प्राध्यापक से की। इसके बाद हेस्को के नाम से एनजीओ बनाया। जोशी ने संस्था के माध्यम से पर्यावरण के संरक्षण और विकास के साथ कृषि क्षेत्र में शोध और अध्ययन किए। 

पर्यावरणविद कल्याण सिंह रावत उत्तराखंड में मैती आंदोलन की शुरूआत करने वाले पर्यावरणविद कल्याण सिंह रावत का जन्म 19 अक्टूबर 1953 को उत्तराखंड में हुआ। जीव-विज्ञान के अध्यापक के रूप में वे उत्तराखंड में विभिन्न स्थानों पर नियुक्त रहे और स्थानीय लोगों को पर्यावरण संवर्धन और वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया। उनके द्वारा 1994 में शुरू किया गया मैती

मैती शब्द उत्तराखंड की लोकभाषा से लिया गया है। मैत शब्द का अर्थ हिंदी में मायका होता है और मैती का अर्थ होता है मायके वाले। मैती परंपरा में विवाह के समय वर-वधु द्वारा मंत्रोच्चार के बीच एक पौधा लगाया जाता है। इस तरह वधु इस पौधे को अपना मैती यानी परिवार का सदस्य बना लेती हैं और देखभाल का जिम्मा परिवार की महिलाओं को सौंपती है। प्रथा के परिणाम स्वरुप रोपे गए पौधों से लोगो का भावनात्मक संबंध रहता है,और पौधों की देखभाल परिवार के सदस्य की तरह की जाती है।

इस परंपरा को शुरू कर कल्याण सिंह रावत ने वृक्षारोपण और वृक्ष संरक्षण की मुहिम को नया जीवन प्रदान किया है। इसी का परिणाम हैं कि आज उत्तराखंड में ही करीब 5 लाख पेड़ों का रोपण और संरक्षण किया गया है। मैती आंदोलन के लिए कल्याण सिंह रावत को पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया है।