सात समुंदर पार से लौटकर ‘हिमालय ट्री’स्टार्ट-अप कंपनी के माध्यम से पहाड़ की माटी को जीवंत कर रहे है टिहरी के नौजवान

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दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण चलते लाखों लोगों की जान चली गई है। लगातार बढ़ते संक्रमण के चलते इस महामारी को रोकने के लिए पूरी दुनिया को लॉकडाउन का सहारा लेना पड़ा था। इसके चलते लाखों उद्योग बंद हो गए थे। इसका प्रभाव रोजगार पर भी पड़ा। यही कारण था कि पूरी दुनिया में अब तक करोड़ों लोग बेरोजगार हो चुके हैं। भारत में कोरोना संकट की वजह से लाखों मजदूर बेरोजगार हुए हैं, वहीं निजी क्षेत्र में काम करने वाले पेशेवरों के सामने भी रोजगार का गंभीर संकट पैदा हो रहे है।

कोरोना वायरस ने लोगों की जान लेने के साथ-साथ दुनिया भर की अर्थव्यवस्था पर भी गंभीर चोट की है। ऐसे में सरकार अपने स्तर पर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रयासरत है। कोशिश यह भी की जा रही हैं कि जल्द से जल्द इस बीमारी से लड़ने के लिए कोरोना वैक्सीन लायी जाएं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोवीड-19  महामारी से पहले तथा बाद की दुनिया के बारे में बात करते हुए कहा कि 21 वीं सदी के भारत के सपने को साकार करने के लिये देश को आत्मनिर्भर बनाना ज़रूरी है। राष्ट्रीय लॉकडाउन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने इसी वर्ष गत 12 मई को राष्ट्र को संबोधित करते हुए एक राहत पैकेज, आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत भी की,जिसने देश को युवाओं को बहुत प्रभावित किया।

प्रधानमंत्री मोदी की आत्मनिर्भर भारत के अभियान की धमक आज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है। गांव,शहर और दुनिया के पटल पर कोरोना वायारस के चलते अपना सब कुछ गंवा चुके नौजवान आज इस अभियान को परिभाषित करते हुए खुद के लिए तो नये-नये अवसर सृजित तो कर ही रहे हैं,साथ ही अपने आसपास के लोगों के लिए रोजगार के क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित कर रहे है।

उत्तराखंड के परिपेक्ष में बात करें तो कोरोना वायरस संक्रमण ने पहाड़ की जवानी,पहाड़ पानी पहाड़ के काम नहीं आता जैसी कहावत को जरूर बदल दिया है। इस महामारी के चलते उत्तराखंड के नौजवानों ने इस कहावत को बदलकर रख दिया है। कोरोना काल में उत्तराखंड के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक लगभग 5 से 6 लाख प्रवासी उत्तराखंड लौटे हैं। जिनमें अधिकांश लोग अब शहरों की तरफ नहीं लौटना चाहते है। यह लोग पहाड़ पर रहकर ही अपने खेत-खलिहानों में रोजगार के नये अवसर सृजित कर रहे है।

इस में पशुपालन,बकरी पालन, मछली पालन, खुद की दुकान, डेयरी, मिल्क बूथ जैविक, औषधीय खेती एवं फल-सब्जियों का उत्पादन कर लघु उद्योग की जो शुरुआत इन नौजवानों ने की है। वह निश्चित तौर पर पहाड़ से हो रहे निरंतर पलायन को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। साथ ही पहाड़ पर रहकर पहाड़ के लिए जीने का जज्बा रखने वाले युवाओं के लिए भी रोजगार सृजित करने की अलख जगा रहा है।

इसी कड़ी में शामिल नाम है ‘हिमालय ट्री’ जिसे सात समुंदर पार से आकर खूबसूरत कैनवास पर उकेर रहे है टिहरी घनसाली निवासी सुमन देव सुरीरा और ग्राम सांकरी नैलचामी के प्रवीण काला जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान को नयी सोच तो दे ही रहे है साथ ही हजारों पहाड़ लौटे नौजवानों के लिए प्रेरक भी बन रहे है।

‘हिमालय ट्री’ स्टार्ट-अप कंपनी के माध्यम से यह नौजवान उत्तराखंड के उत्पाद को विश्व बाजार में एक नयी पहचान तो दिला ही रहे है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील ‘लोकल के लिए वोकल बनें’ को भी साकार कर रह है। यही वजह भी हैं कि हिमालय ट्री की मांग राज्य के साथ-साथ दूसरों राज्यों में भी तेजी के साथ बढ़ रही है।

हिमालय ट्री के मैनेजिंग पार्टनर प्रवीण काला और सुमन देव सुरीरा बताते हैं कि इस लघु उद्योग को शुरू करने के पीछे हमारा मुख्य उद्देश्य स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना और सही बाज़ार उपलब्ध कराना हैं। जिस से राज्य में और विशेष रूप से पहाड़ों में जन-जीवन को बेहतर हों,स्वरोजगार के अवसर भी प्राप्त हों,किसानों को उनकी फसल का उनकी मेहनत का उचित दाम मिल सके।

20 मई 2020 को शुरू हुई हिमालय ट्री उत्तराखंड के अलग-अलग पहाड़ी जिलों से पांच शहद के उत्पाद बाजार में लेकर आया है। जिसकी शुद्धता और गुणवक्ता के चलते लोगों ने इन उत्पादों को हाथों-हाथ लिया है। प्राकृतिक खाद्य पदार्थों के हिमालय ट्री ब्रांड में वर्तमान में प्राकृतिक कच्चे शहद के विभिन्न प्रकार शामिल हैं। भविष्य में हिमालय ट्री पहाड़ी उत्पादों और सेवाओं का विस्तार करने जा रहा है। साथ ही यह नौजवान बहुत जल्द अन्य जैविक उत्पादों को भी बाजार मुहैया कराने जा रहे है। यही नहीं हिमालय ट्री स्टार्ट-अप कंपनी ने अपने इस अभियान से उत्तराखंड के कई नौजवानों,किसानों और ग्रामीणों को भी जोड़ा है। जिन्हें अपने घर-गांव-खेत-खलिहानों में रोजगार के अवसर तो प्राप्त हो ही रहे हैं,साथ ही एक अच्छी खासी रकम भी प्राप्त हो रही है।

पहाड़ के प्राकृतिक खजाने से हिमालय ट्री स्टार्ट-अप कंपनी के यह नौजवान विदेश से पहाड़ के किसानों,नौजवानों और ग्रामीणों को अपने प्राकृतिक उत्पादों के माध्यम से आत्मनिर्भर बानने के दिशा में महत्वपूर्ण संदेश तो दे ही रहे है। साथ ही स्वरोजगार के लिए युवाओं को प्रेरित भी कर रहे है। जिनके साथ गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी सहित कई प्रबुद्धजनों का आशीर्वाद है। यह निश्चित तौर पर प्रवीण काला और सुमन देव सुरीरा की पहाड़ के विकास के लिए नयी पहल है। जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। आप भी अपना बहुमूल्य सहयोग देकर इन नौजवानों का हौसला बढ़ा सकते है। इस लिए आप पिंटू ऐप्प को डाऊनलोड करके प्राकृतिक पहाड़ी उत्पादों की बिक्री को बढ़ाने में इन्हें सहयोग करें और आने वाले त्योहारों में प्राकृतिक उत्पादों को भेंट कर स्वस्थ भारत की ओर ध्यान केंद्रित करें। आप आपने विचार,सुझाव, प्रतिक्रिया या सवाल care@himalayatree.com पर रख सकते है।