पुण्यतिथि पर याद किए गए प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत

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छायावाद के प्रमुख कवि व हिंदी काव्य में नई धारा के प्रवर्तक सुमित्रानंदन पंत की पुण्यतिथि पर ऋषिकेश में साहित्यिक संस्था आवाज ने उनका पुण्य स्मरण किया वह भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20  मई 1900को  अल्मोड़ा जनपद के कौसानी नामक गांव में हुआ था। इन्हें जन्म देने के तुरंत बाद इनकी माता सरस्वती देवी परलोक सिधार गईं। पंत जी का लालन-पालन उनकी दादी और बुआ ने किया। उनके बचपन का नाम था गुसाई दत्त। उनके पिता गंगा दत्त चाय बागान के मैनेजर थे। दस साल की उम्र में उन्होंने अपना नाम बदल कर सुमित्रा नंदन पंत रख लिया।

छायावाद युग के प्रमुख कवि जयशंकर प्रसाद,महादेवी वर्मा व सूर्यकांत त्रिपाठी निराला आदि कवियों में सुमित्रानंदन पंत भी एक प्रमुख आधार स्तंभ कवि थे। सोमवार 28 दिसंबर को सुमित्रानंदन पंत की पुण्यतिथि पर ऋषिकेश में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने उनके जीवन परिचय व साहित्यिक उपलब्धियों पर विचार साझा किए। संस्था के अध्यक्ष अशोक क्रेजी ने  कवि पंत की ‘हे ग्राम देवता नमस्कार !’ , ‘सोने चांदी से नहीं किंतु, तुमने मिट्टी से किया प्यार’ आदि कविताओं का वाचन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

वरिष्ठ उपाध्यक्ष रामकृष्ण पोखरियाल ने कहा कि कवि पंत के काव्य में प्रकृति का अद्भुत सौंदर्य है जो लुभाता है। इसीलिए उन्हें प्रकृति का सुकुमार कवि भी कहा जाता है।

प्रबोध उनियाल ने कवि सुमित्रानंदन पंत से पार्थसारथी डबराल के मुलाकात के कई यादगार संस्मरण गोष्ठी में साझा किये जो उन्होंने डॉ डबराल से सुने थे। धनेश कोठारी ने कहा कि पंत प्रकृति के कवि थे, यही वजह है कि उनके काव्य में प्रतीक व बिम्ब सहज रूप से उतर जाते हैं।

इस अवसर पर सुनील थपलियाल,महेश चिटकारिया,सत्येंद्र चौहान,आलम मुसाफिर,जेपी उनियाल, शांति ठाकुर, पुष्पा उनियाल आदि ने भी उन्हें याद किया व भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। 2015 में भारत सरकार ने इस महान कवि की स्मृति में डाक टिकट भी जारी किया था।