हिन्दी में सोचना,समझना,बोलना,लिखना,पढ़ना और पढ़ाना देश की एकता और अखण्डता को मजबूत करना-प्रदीप वेदवाल

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हिन्दी में सोचना,समझना,बोलना,लिखना,पढ़ना और पढ़ाना देश एकता और अखण्डता को मजबूत करना है। अनेकता में एकता भारत की विशेषता है और हिन्दी कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक जनमानस के बीच संवाद की भाषा है,संपर्क और संप्रेषण का माध्यम है। यह बात वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार प्रदीप वेदवाल ने हिन्दी दिवस के अवसर पर कही।

जेआईएमएस ग्रेटर नोएडा में पत्रकारिता एवं जनसंपर्क विभाग के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने ने कहा कि हिन्दी दिवस पर एक दिवसीय आयोजन करके हिन्दी के प्रचार-प्रसार प्रसार की बात करना एक तरह की रस्मअदायगी सी नहीं होनी चाहिए,बल्कि हिन्दी का लोकव्यवहार में ज्यादा से ज्यादा प्रयोग हो इस बात का संकल्प लेना हिन्दी दिवस के आयोजन की उपादेयता है,सार्थकता है। हिन्दी विश्व में बोली जाने वाली सर्वाधिक लोकप्रिय भाषाओं में तीसरी श्रेणी पर है।

साहित्यकार वेदवाल ने कहा कि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला,जयशंकर प्रसाद,महादेवी वर्मा,सुमित्रानंदन पंत की शुद्ध साहित्यिक कविताएं जहां हिन्दी साहित्य जगत की अमूल्य निधि हैं। वहीं प्रसून जोशी, कुमार विश्वास,मनोज मुंतशिर की कविताएं युवा पीढ़ी को हिन्दी कविता,गीत और मुक्तक लेखन के लिए प्रेरित कर रही हैं। विचार,विनिमय और भाषा के बलबूते पर ही हिन्दी भाषा का ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार किया जा सकता है।

इस अवसर पर पत्रकारिता एवं जनसंपर्क विभाग के विद्यार्थियों ने अपनी मौलिक कविताओं का काव्यपाठ किया। संस्थान की निदेशक प्रोफेसर रश्मि भाटिया ने हिन्दी भाषा के गौरवशाली इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि आने वाले दिनों हिन्दी का भविष्य उज्जवल है। उन्होंने हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों की सराहना भी की।

जेआईएमएस में पत्रकारिता एवं जनसंपर्क विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर वीना हाडा ने समसामयिक विषयों पर कविता सुनाकर समय और संदर्भ का सार्थकतापूर्ण संदेश भी दिया।

कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन डॉक्टर विजेता तनेजा ने किया। इस अवसर पर प्रोफेसर रोहित महाजन,मैनेजमेंट विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर सुमित अग्रवाल,प्रो.वन्दना भी शामिल रहे।