यूक्रेन रूस विवाद-बदलते भूगोल का उलझा इतिहास

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यूक्रेन का विगत 14सौ वर्षों का इतिहास,पुनर्गठन और विखंडन का इतिहास रहा है। जहां एक राष्ट्र और राष्ट्रीयता का नितांत अभाव रहा है। यह तथ्य यह साबित करता हैं कि मजबूत राष्ट्र का प्रभावीआधार सशक्त सेना से अधिक संस्कृति और भाषा होती है। जिसके आधार पर राष्ट्रों में भावनात्मक एकता उत्पन्न होती है। इस भावनात्मक एकता से ही कोई राष्ट्र समग्रता से अपने अस्तित्व की रक्षा कर पाता है।

यूक्रेन रूस के ताजा विवाद को समझने के लिए यूक्रेन और रूस के इतिहास पक्ष को समझना आवश्यक हो जाता है। 9 वीं सदी में कीएव प्रथम ने शाल्विक साम्राज्य का मध्य एशिया में विस्तार किया और कीएव को यूक्रेन की राजधानी बनाया,जो स्कॉडीविएन कबीले से जुड़े थे,जो खुद को रूस कहते थे। इस कबीले के प्रभाव से यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में ऑर्थोडॉक्स चर्च का प्रभाव बड़ा,जबकि पश्चिम और उत्तर क्षेत्र यूरोप के चर्च के प्रभाव में पोप का अनुयाई बना रहा। दोनों क्षेत्र की भाषा भी अलग रही, एक देश के रूप में यह सांस्कृतिक विभाजन ही यूक्रेन की समस्या का सदियों से कारण बना रहा, इसी धार्मिक आधार पर यूक्रेन का पुनर्गठन और विघटन कालांतर में भी होता रहा।

स्कैडिवियन कबीले के प्रभावी सम्राट सेंट ब्लादिमीर स्वायातोस्लाविच ग्रेट ने 988 ई० में सम्राज्य का विस्तार बेलारूस,रुस,यूक्रेन और बाल्टिक सागर तक किया। इस पूरे समय यूक्रेन, रूस और बाल्टिक भाषाएं स्वतंत्र रूप से विकसित हुई और राष्ट्रों के एकीकरण का आधार भी बनी। इस पूरे साम्राज्य पर तेरहवी सदी में मंगोल आक्रमण के बाद पुनःविघटन प्रारंभ हुआ, बडे भाग में मंगोलों का साम्राज्य स्थापित हुआ। मंगोल साम्राज्य के विघटन का लाभ चौदहवी शताब्दी में लुथिएनिया और रुस (मास्को )ने अपने साम्राज्य का विस्तार कर उठाया।

पश्चिम यूक्रेन के कीएव और आस पास के क्षेत्र लुथिएन ने विस्तार किया। इस क्षेत्र में प्रगतिशील यूरोपी क्रिश्चियन धर्म का विस्तार हुआ, जबकि पूर्वी यूक्रेन और उसके आसपास तथा मास्को आधुनिक रूस के प्रभाव क्षेत्र में आ गया ,यहां ऑर्थोडॉक्स चर्च की धार्मिक पद्धति का प्रभाव रहा..। इसी समय यूक्रेन के उत्तरी क्षेत्र पर ग्रीक और ऑटोमन साम्राज्य का भी छोटे कालखंड के लिए प्रभावी रहा।

सतरहवीं शताब्दी में एक बड़ा युद्ध साम्राज्य विस्तार के लीथुएनिया,पोलैंड राष्ट्रमंडल तथा रूस के जार्ज शासकों के बीच हुआ। 1764 में मौजूदा यूक्रेन तथा इसके उत्तर-पश्चिम इलाके रूसी साम्राज्ञी कैथरिंन ग्रेट ने फिर से रूस में मिला दिए…। भूगोल के इस विस्तार में संस्कृतियों का विलय नहीं हो पाया…।

भाषाई आधार पर यूक्रेन में 19वीं शताब्दी में पुनःराष्ट्रवाद का उदय हुआ।  यूक्रेन की भाषा को प्रतिबंधित कर दिया गया ।प्रथम युद्ध के समय यूक्रेन का बड़ा भाग फिर से स्वतंत्र हुआ,लेकिन 1919 में रूस की क्रांति के बाद फिर से यूक्रेन के आज के पूरे भाग पर जोसेफ स्टालिन ने कब्जा कर लिया,चर्च की गतिविधियों को नियंत्रित किया गया। यूक्रेन के नागरिकों ने रूस के इस विलय के विरुद्ध लगातार संघर्ष जारी रखा, जिनका दमन जोसेफ स्टालिन ने क्रूरता पूर्वक किया 19 30 – 40 के दशक में लाखों यूक्रेनियन भूख से मारे गए।

1950 के आसपास सोवियत संघ में भाषाई एवं क्षेत्रीय संतुलन बनाने के लिए रूसी भाषा के बहुलता के क्षेत्र क्राईमिया को यूक्रेन के हिस्से बना दिया,यहां किसी भी विद्रोह को रोकने के लिए ब्लैक सी में रूस ने अपना सातवां बेड़ा भी तैनात कर दिया।

इस कदम से सोवियत संघ के दौर में यूक्रेन में विद्रोह की स्थिति दबी रही । यद्यपि यूक्रेन में राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता का आंदोलन जारी रहा, स्टालिन द्वारा किए गए प्रयोगों से यूक्रेन के बड़े हिस्से मुख्य रूप से दक्षिण पूर्वी यूक्रेन में लोहान्शक और डोनेटस्क जैसे क्षेत्र रूस समर्थक और विद्रोही क्षेत्र के रूप में रूस का लगातार मनोबल बडाते हैं। यूक्रेन की स्वतंत्रता आंदोलन को रूस के विघटन के बाद वर्ष 1991 में लियोनड क्राउचक के नेतृत्व में आजादी मिली, लेकिन रूस का दबाव लगातार यूक्रेन पर बना रहा।

1994 से 1999 लियोनेड कुचमा निर्बाध स्वतंत्रता का उपभोग किया। 2004 में विक्टर पानूविख ने फिर रूस से नजदीकी बढ़ाई। 2005 में विक्टर विंशचूको ने यूक्रेन की यूरोपीय यूनियन और नाटो से नजदीकियां बडाई और नाटो में शामिल होने की मांग भी की। 2013-14 में विक्टर जानू को भी ने यूक्रेन की दिशा फिर बदलकर रूस की तरफ मोड़ दी तथा पश्चिम से संबंध तोड़ दिए। इसी वक्त एक युद्ध के बाद रूस ने यूक्रेन के रूसी बहुल क्षेत्र क्राईमियां को अपने कब्जे में ले लिया।

2017 में यूक्रेन ने पुन:यूरोप से संबंध बहाल किए। इसके बाद डोनाल्ड ट्रंप का लगातार यूक्रेन में हस्तक्षेप बड़ा 2019 में मौजूदा राष्ट्रपति कामेडियन ब्लादीमिर जेलेन्सकी यूक्रेन के राष्ट्रपति बने और ऑर्थोडॉक्स चर्च पर पाबंदी लगा दी। जिस पर रूस ने तीखी प्रतिक्रिया दी और मौजूदा युद्ध के हालात लगातार बनते रहे ।राजनीतिक अस्थिरता ने यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को गहरा नुकसान पहुंचाया जिसकी भरपाई 2020 में आईएमएफ ने 5 बिलियन डॉलर का ऋण देकर की।

रूस के साथ तनावपूर्ण स्थितियों के बीच जनवरी 2021 मौजूदा राष्ट्रपति व्लादीमीर जेलेंस्की ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो वाइडन से यूक्रेन को नाटो में मिलाने का आग्रह करने के साथ ही रूस समर्थक विक्टर मेडवुड चुक पर प्रतिबंध लगाकर मौजूदा युद्ध को अवशयम्भावी बना दिया।  राष्ट्रपति जेलेंस्की के इस कदम को नाटो के भरोसे और अमेरिका के उकसावे की कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन जो वाईडन अभी तक सीधे तौर पर इस युद्ध में नहीं कुदे। उसका तात्कालिक कारण जेलेंस्की के डोनाल्ड ट्रंप के साथ अतिरिक्त और दुर्भावनापूर्ण संबंधों को भी माना जा रहा है, जिसमें वह जो वाईडन के बेटे के विरुद्ध जांच बैठाने की बात करते हैं।

रूस और यूक्रेन के 10 दिनों के युद्ध बीत जाने के बाद तस्वीर अभी साफ नहीं है। यह कहना मुश्किल है कि युद्ध विराम किन स्थितियों और शर्तों पर होगा, क्या भविष्य में यूक्रेन एक रह पाएगा अथवा समय-समय पर पूर्वी और पश्चिमी यूरोप को बांटने वाली नदी निपर फिर से सीमा बन जाएगी।

जानकार बताते हैं कि अमेरिका इस युद्ध के बहाने एक तीर से दो निशाने करने की स्थिति पर पहुंच गया है। इस युद्ध के बाद रूस में जिस प्रकार आंतरिक विद्रोह की स्थितियां उत्पन्न हुई हैं,6 हजार से अधिक गिरफ्तारियां हुई हैं । साथ ही रूस के पूंजी-पतियों ने व्लादीमीर पुतिन का विरोध करना शुरू किया है, उससे पुतिन के कमजोर होने की संभावनाएं बड़ गई है। साथ ही रूस के व्लादिमीर पुतिन के कार्यकाल में पुनःशक्तिशाली धुरी के रूप में उभरने की प्रक्रिया को भी इस युद्ध के बाद विराम लगेगा।

पूर्वी और पश्चिमी यूक्रेन में इस प्रकार लगातार गतिरोध बने रहने और राजनीतिक अस्थिरता बने रहने का मुख्य कारण, इन दोनों क्षेत्रों में भाषाई तथा सांस्कृतिक एकता का अभाव है, जो कि राष्ट्र निर्माण की पहली शर्त है।

आलेखः- प्रमोद शाह