दुनिया का सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थल,उत्तराखंड की फूलों की घाटी

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देवभूमि उत्तराखंड जिसे ऋषि-मुनियों की तपोस्थली भी कहा जाता है। देवों के देव महादेव की ससुराल,विश्व में सबसे पवित्र और विशाल नदियों की उद्गम स्थली और धरती का स्वर्ग देव भूमि उत्तराखंड इसी के साथ कई प्राकृतिक संपदाओं,तीज-त्यौहारों,लोक परंपराओं के लिए भी जाना जाता है।

उत्तराखंड में स्थित धार्मिक रुप से महत्वपूर्ण चार धाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ विश्व धार्मिक पटल पर अपनी अलग पहचान रखते है। यहां हिमालय मनुष्य को जीवन की नयी परिभाषा समझाता है। कल-कल छल-छल बहती नदियां जीवन को नयी ऊर्जा प्रदान करती हैं,तो यहां की प्रकृति संपदाओं में कई तरह की जड़ी-बूटियां और फल-फूल पाए जाते है। जिन्हें देखने-समझने के लिए देश-विदेश से पर्यटक यहां आते है।

उत्तराखण्ड के हिमालयी क्षेत्र में वैसे तो बहुत कुछ पाया जाता हैं। इन्हीं में एक खूबसूरत उद्यान हैं,विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी जो 87.50 किमी वर्ग क्षेत्र में फैली है। इस विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी को यूनेस्को ने सन् 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया था।

विश्व प्रसिद्ध फूलों की इस घाटी में लगभग 500 से अधिक फूलों की अलग-अलग प्रजातियां पाई जाती है। जो बरबस ही लोगों का मन मोह लेते है। फूलों की घाटी के बारे में कहा जाता हैं कि इस घाटी की खोज सबसे पहले ब्रिटिश पर्वतारोही ‘फ्रैंक स्मिथ’ और उनकी साथी ‘होल्डसवर्थ’ ने सन् 1931 की थी। जिसके बाद फूलों की घाटी दुनिया भर के पर्यटकों के लिए पर्यटन स्थलि बन गया है। फूलों की घाटी की खोज और यहां पाए जाने वाले अलग-अलग प्रजातियों के फूलों को लेकर ‘फ्रैंक स्मिथ’ ने ‘वैली ऑफ फ्लॉवर्स’ नाम से एक किताब भी लिखी।

रामायण और महाभारत में फूलों की घाटी का वर्णन

विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी का वर्णन रामायण और महाभारत दोनों ही महाग्रंथों में पाया गया है। मान्यता हैं कि जब धर्म युद्ध में लक्ष्मण को शक्ति बाण लगा था तो हनुमान जी इसी घाटी से संजीवनी बुटी लेकर आए थे। जिसके मूर्छित लक्ष्मण के प्राण बच पाए थे। फूलों के घाटे के आस-पास के गांव वाले आज भी इस स्थान को आछरियों (परियों) निवास मानते हैं। शायद यही वजह भी थी कि फूलों की घाटी के आसपास के गांव के लोगों इसघ घाटी के आस पास भी नहीं जाते थे।

लेकिन जब सन् 1931 में ब्रिटिश पर्वतारोही ‘फ्रैंक स्मिथ’ और उनकी साथी ‘होल्डसवर्थ’ ने इस घाटी की खोज की तो उसके बाद यह स्थान पर्यटन मानचित्र पर आया,जिसके बाद फूलों की घाटी के आसपास के ग्रामीणों के लिए फूलों की घाटी रोजगार के साधन के रूप में मील का पत्थर स्थापित होने लगा।

फूलों की घाटी में पाई जाती लगभग 500 से अधिक फूलों की अलग-अलग प्रजातियां

विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी वैसे तो कई महत्वपूर्ण जड़ी-बुटियों के लिए जानी जाती हैं लेकिन यहां मुख्य तौर पर गेंदा,लिगुलारिया,सैक्सिफागा,जर्मेनियम,प्रिभुला,जिउम,तारक,हिमालयी नीला पोस्त, अनाफलिस,रोडोडियोड्रान,रानुनकुलस,कम्पानुला,मोरिना,पोटेन्टिला,बछनाग,पेडिक्युलरिस,सौसुरिया,इन्डुला सहित लगभग 500 से अधिक फूलों की अलग-अलग प्रजातियां पाई जाती है। जिन्हें देखने के लिए पूरे दुनिया लोगों यहां आते है।

फूलों की घाटी जाने का समय

फूलों की घाटी घूमने के लिए जुलाई से अगस्त का समय सबसे अच्छा होता है। इस दौरान इस घाटी में फूलों की अच्छी खासी पैदावार होती है। पूरी घाटी रंग-बिरंगे फूलों से गुलजार रहती है। यदि आप यहां सिंतबर और अक्टूबर के शुरूआत में जाते हैं तो यहां ब्रह्मकमल के फूल भी देखने को मिलते है। इस फूल के बारे में कहा जाता हैं कि यह सिर्फ साल में केवल एक बार ही खिलता हैं वह भी सिर्फ रात्रि में,धार्मिक और प्राचीन मान्यताओं के अनुसार ब्रह्म कमल को इसका नाम, जन्म देने वाले देवता ब्रह्मा के नाम पर मिला है। इसका वैज्ञानिक नाम साउसिव्यूरिया ओबलावालाटा (Saussurea obvallata) है

कैसे पहुंचे फूलों की घाटी तक

आप यदि फूलों की घाटी जाना चाहते है आप यहां तक पहुंचने के लिए हवाई,रेल और सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकते है। यहां पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून में स्थित हैं। जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से फूलों की घाटी की दूरी लगभग 284 किलोमीटर हैं। यहां पहुंच कर आप टैक्सी या बस से आसानी से फूलों की घाटी पहुंच सकते है। यदि आप सड़क मार्ग से जाना चाहते हैं तो फूलों की घाटी सड़क मार्ग से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। फूलों की घाटी पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी बस स्टैंड गोविंदघाट हैं,जो फूलों की घाटी से मात्र 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप हरिद्वार,ऋषिकेश,देहरादून और कोटद्वार से बस या टैक्सी के माध्यम से आसानी से यहां तक पहुंच सकते है।

फूलों की घाटी जाने के लिए आप यदि रेल से आना चाहते हैं तो आप ऋषिकेश रेवले स्टेशन से आसानी से यहां पहुंच सकते है। ऋषिकेश से फूलों की घाटी की दूरी लगभग 272 किलोमीटर है। ऋषिकेश से फूलों की घाटी के लिए नियमित बसे और टैक्सी चलती हैं। आप यहां से टैक्सी या बस के माध्मय से प्राकृतिक नजारों का आनंद लेते हुए फूलों की घाटी तक पहुंच सकते है।

इन बातों का रखें विशेष ध्यान

फूलों की घाटी की सैर पर जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखें की यहां आने से पहले रहने के लिए होटल या आश्रम की बुकिंग करवा लें। यहां पर बहुत सस्ते दामों पर होटल उपलब्ध है। इसी के साथ आपने साथ गर्म कपड़े,छाता और रोजमर्रा की दवाइयां जरूर रख लें। क्योंकि उत्तराखंड में कभी भी मौसम में बदलाव हो जाता हैं,ठंड बढ़ जाती है। ऐसे में आपको गर्म कपड़ों की आवश्यकता पड़ सकती है।  फूलों की घाटी के आसपास कई और धार्मिक स्थल हैं। जिनके दर्शन के लिए भी आप जा सकते है।