नैनीताल जू में सांपों की सुरक्षा,संरक्षण,बचाव और विलुप्त हो रही प्रजातियों के संरक्षण को लेकर कार्यशाला का आयोजन

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हेंमत रावत

नैनीताल के उच्च स्थलीय प्राणीय उद्यान में नेशनल मिशन ऑफ हिमालयन स्टडी के ह्यूमन स्नेक कांफ्लिक्ट कार्यक्रम अंतर्गत सांपों के संरक्षण व उनसे बचाव को लेकर नैनीताल के जू में एक कार्यशाला शुरू हो गई है। जिसमें सांपों की सुरक्षा के मुख्य उदेश्य से फॉरेस्ट के फील्ड स्टाफ को अवगत कराया गया। मुख्य वन संरक्षक कुमाऊँ डॉक्टर तेजस्वी अरविंद पाटिल के निर्देशन में यह तीन साल का प्रोजेक्ट संचालित किया जाएगा।

कार्यशाला के निरीक्षक ने बताया की इस कार्यशाला का आयोजन भारत सरकार की एक स्कीम के अंतर्गत कराया गया। जिसमें सरकार द्वारा हल्द्वानी ज़ू सफारी को प्रायोजित किया गया है। जो की तीन साल का प्रोजेक्ट है। जिसमें साँपो और मनुष्यों के बीच के संघर्ष देखने के बाद यह कदम उठाया गया है। इसमें 6 डिविजन तराई और एक डिविजन नैनीताल चिन्हित किया गया है। नैनीताल में इस प्रोजेक्ट को एक वेन्यू की तरह चलाया जाएगा। जिसमें लोगों को जागरुक करने व फॉरेस्ट कर्मियों को ट्रेनिंग देने का उदेश्य है। इसके साथ-साथ ग्रामीणों को भी सही जानकारी से अवगत कराया जाएगा। जिसमें 250 गावँ को शामिल किया गया हैं। हर गांव से तीन लोगों को ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें जो ऐजेंसि आएँगी वो साँपो को फॉरेस्ट कर्मियों के साथ रेस्क्यू करेंगी और उन्हें जंगल में सुरक्षीत छोड़ देगीं। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से लोगों को जागरुक करवाने के साथ-साथ सांपों की विलुप्त हो रही प्रजातियों के संरक्षण के बारे में भी बताया जाएगा।

इस कार्यशाला में एक डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से साँपों की जानकारी दी गयी जिसका संचालन एस.आर.एफ जिज्ञासु डोलिया द्वारा किया गया। कार्यशाला में बताया गया की कैसे साँपों और लोगों के बीच के संघर्ष से दोनों को बचाना है। साथ ही साँपों का कैसे संरक्षण किया जा सके। आपको बता दें कि जानकारी के अनुसार 64% भारतीय साँप बिल्कुल हानिहीन होते है। दुनिया में सांपों की 3,848 प्रजातियां है। जिनमें भारत में 280 प्रजातियां पाई जाती है और उत्तराखंड मे 35 प्रजातियां पाई जाती है। जिसमें 8 घातक प्रजाति के सांप हैं और 24 हानिहिन है।