उत्तराखंड के औद्योगिक विकास, एम0एस0एम0ई0 तथा खादी व ग्रामोद्योग मंत्री गणेश जोशी ने अपने दिल्ली प्रवास के दौरान केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग तथा रेल मंत्री पियुष गोयल से, नई दिल्ली स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात की। इस दौरान काबीना मंत्री गणेश जोशी ने राज्य के औद्योगिक विकास के लिए जारी की गई ‘‘औद्योगिक विकास स्कीम – 2017’’ के लाभ 2022 के बाद भी जारी रखे जाने, फार्मा इण्डस्ट्रीज के लिए प्रयोगशाला परीक्षण उपकरण (Laboratory Testing Equipment) तथा क्वालिटी कन्ट्रोल उपकरणों को पात्र घटक (Eligible Components) में सम्मिलित किए जाने, हरिद्वार जनपद अंतर्गत तकरीबन 700 से अधिक पूर्व से स्थापित उद्योगों हेतु बेहतर माल ढुलाई सुविधा उपलब्ध कराने एवं हेतु ‘‘इनलैण्ड कंटेनर डीपो (आई0सी0डी0)’’ सुविधा विकसित करने तथा पर्यटन नगरी मसूरी को शिमला की तर्ज पर रेल कनेक्टिविटी से जोड़ने जैसे प्रस्तावों पर केन्द्रीय सहयोग की मांग की। कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी इन दिनों दिल्ली में केन्द्रीय नेताओं से मुलाकात कर अपने अधीन विभागों की योजनाओं की स्वीकृति हेतु पैरवी कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण काल के दौरान देहरादून जनपद के कोरोना उपचार व्यवस्थाओं के प्रभारी के तौर पर कोरोना उपचार व्यवस्थाओं में व्यस्त होने के कारण गणेश जोशी राज्य सरकार में मंत्री बनने बाद पहली बार केन्द्रीय नेताओं से मुलाकात करने दिल्ली पहुंचे हैं।
औद्योगिक विकास नीति स्कीम-2017 (आई0डी0एस0) को आगे बढ़ाना जरूरी
औद्योगिक विकास मंत्री ने केन्द्रीय मंत्री को अवगत कराया कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (उद्योग संवर्द्धन एवं आन्तरिक व्यापार विभाग), भारत सरकार की अधिसूचना फा. सं. 2 (2)/2018-एसपीएस, दिनांक 23 अपै्रल, 2018 द्वारा हिमांचल प्रदेष और उत्तराखण्ड राज्य में औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए औद्यागिक विकास स्कीम -2017 स्वीकृत की गयी है। जो कि 31 मार्च, 2022 तक प्रभावी रहेगी।
उत्तराखण्ड राज्य के लिए स्वीकृत उक्त पैकेज में केन्द्रीय पूंजी निवेश उपादान की आकर्षक सुविधा होने के कारण राज्य में औद्योगिक प्रतिष्ठानों द्वारा नये उद्येगों की स्थापना अथवा अपने विद्यमान उद्यम के विस्तार का कार्य किया जा रहा है। अभी भी काफी उद्यमी नये उद्योग की स्थापना या विद्यमान उद्यम के विस्तार के लिए आगे आ रहे हैं, किन्तु गत वर्ष से कोविड-19 के प्रथम व द्वितीय लहर में लॉकडाउन तथा वित्तीय संसाधन जुटाने में कठिनाईयों हो रही है।
कोविड-19 से उत्पन्न परिस्थितियों में जीवन रक्षक दवाओं, मेडिकल ऑक्सीजन, ऑक्सीजन कन्सन्ट्रेटर के निर्माण, अस्पतालों की स्थापना एवं वर्तमान परिदृश्य में व्यवहार्य परियोजनाओं हेतु राज्य में ऐसी विनिर्माणक/सेवा गतिविधि की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाना आवश्यक है। उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय राज्य में सीमित वित्तीय संसाधन हैं। अतः इसको दृष्टिगत रखते हुए भारत सरकार द्वारा स्वीकृत इस पैकेज की वैधता दिनांक 31 मार्च, 2022 के बाद भी बढ़ायी जानी नितान्त आवश्यक है।
फार्मा इण्डस्ट्रीज के प्रयोगशाला परीक्षण तथा क्वालिटी कन्ट्रोल उपकरणों को अनुबन्ध-2 में सम्मिलित करवाया जाना जरूरी
औद्योगिक विकास मंत्री ने कहा कि, भारत सरकार द्वारा स्वीकृत औद्योगिक विकास योजना, 2017 में विनिर्माणक क्षेत्र की ओद्योगिक इकाईयों को केन्द्रीय पूंजी निवेश की अनुमन्यता के लिए संयंत्र और मशीनरी के मूल्य को गणना में लिये जाने के सम्बन्ध में अधिसूचना दिनांक 23 अपै्रल, 2018 के अनुबन्ध-2 में पात्र घटक (Eligible Component) दिये गये घटकों में प्रयोगशाला परीक्षण उपकरण (Laboratory testing equipment) तथा क्वालिटी कन्ट्रोल उपकरण सम्मिलित नहीं है। जबकि फार्मा इण्डस्ट्रीज के लिए प्रयोगशाला परीक्षण उपकरण एक आवश्यक घटक है। उत्तराखण्ड की फार्मास्यूटिकल्स मैन्यूफेक्चरर्स एसोसिऐशन द्वारा इस सम्बन्ध में एक प्रत्यावेदन दिये जाते रहे हैं। मेरा भी यह विचार हैं कि फार्मास्यूटिकल्स तथा अन्य उद्योगां को अपने उत्पाद के परीक्षण तथा क्वालिटी कन्ट्रोल की सुनिश्चितता के लिए प्रयोगशाला उपकरणों / Quality Control Equipment पर किये गये अचल पूंजी निवेश में पूंजीगत उपादान का लाभ मिलना चाहिए, ताकि सभी उद्योग निर्धारित मानकों के अनुसार उत्पाद का विनिर्माण सुनिश्चित कर सकें।
कोविड-19 के कारण उन्पन्न परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए उत्तराखण्ड तथा हिमांचल प्रदेश के लिए स्वीकृत ओद्योगिक विकास योजना, 2017 की वैधता अवधि दिनांक 31मार्च,2022 के बाद से आगामी 3 बर्ष तक बढ़ाने का कष्ट करें। साथ ही उद्योगों में उत्पादित वस्तुओं / उत्पादों कें प्रयोगशाला परीक्षण तथा गुणवत्ता परीक्षण हेतु प्रयोगशाला परीक्षण हेतु प्रयोगशाला परीक्षण उपकरण (Laboratory testing equipment) क्वालिटी कन्ट्रोल उपकरण (Quality Control Eequipment) पर किये गये पूंजी निवेश की अर्हता के लिए पात्र घटक में सम्मिलित किये जाने के सम्बन्ध में सहानुभूतिपूर्वक विचार कर यथाशीघ्र आवश्यक आदेश जारी कराने की कृपा करें।
हरिद्वार में बने इनलैण्ड कंटेनर डीपो (आई0सी0डी0)
कैबिनेट मंत्री द्वारा केन्द्रीय रेल मंत्री को भारतीय सेना के लिए सुगमता तथा त्वरितता के साथ्ज्ञ सैन्य साजो-सामान एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचाने हेतु विकसित किए गए ‘‘रेवारी – पुरेरा डेडिकेटेड फ्राईट कॉरिडोर’’ के सफल ट्रायल के लिए बघाई दी। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी द्वारा अवगत कराया, कि उत्तराखण्ड राज्य के हरिद्वार जनपद में ‘‘राज्य एकीकृत औद्योगिक आस्थान’’ तथा आसपास के अन्य इंडस्ट्रियल स्टेट को मिला कर लगभग 2000 एकड़ से अधिक भूमि में औद्योगिक आस्थान विकसित किए गए हैं। इन औद्योगिक आस्थानों में लगभग 700 से अधिक औद्योगिक इकाईयां स्थापित हैं। जिनमें लगभग 1,25,000 रोजगार के अवसर विकसित हुए हैं। सुगम, सुरक्षित एवं त्वरित यातायात व्यवस्था उपलब्ध न होने के कारण यह समस्त औद्योगिक इकाईयां सिर्फ सड़क यातायात पर ही निर्भर हैं। जो कि ना सिर्फ आर्थिक तौर पर अधिक व्ययभार बढ़ाने वाला है बल्कि समय भी बहुत लेता है, इसके अलावा यह रेल यातायात जैसा सुरक्षित भी नहीं है।
समय-समय पर यहां की औद्योगिक इकाईयों द्वारा रेल-हेड से कंटेनर के माध्यम से माल ढुलाई हेतु उचित आधारभूत ढ़ाचे अर्थात ‘‘इनलैण्ड कंटेनर डिपो’’ (आई0सी0डी0) की मांग की जाती रही है। जिसका लाभ ‘‘राज्य एकीकृत औद्योगिक आस्थान’’, नवरत्न कम्पनी बी0एच0एल0, भगवानपुर औद्योगिक आस्थान, सेलाकुई औद्योगिक क्षेत्र तथा आसपास के अन्य उद्योगों को भी मिलेगा। भारतीय रेल मंत्रालय के माध्यम से हरिद्वार में बी0एच0ई0एल0 की लगभग 100 एकड़ अप्रयुक्त भूमि का प्रयोग कर इनलैण्ड कंटेनर डिपो (आई0सी0डी0) स्थापित करवाए किया जा सकता है।
इस पर केन्द्रीय रेल मंत्री ने राज्य के औद्योगिक आस्थानों हेतु ‘‘इनलैण्ड कंटेनर डिपो’’ (आई0सी0डी0) की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि इस प्रस्ताव का शीघ्र ही परीक्षण करवा कर सर्वेक्षण कार्य प्रारम्भ किया जाएगा।