फ़रीदाबाद-राजीव गांधी बलिदान दिवस के साथ नशा मुक्ति का संकल्प लिया

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कृष्णा क्रिकेट ग्राउंड मिर्जापुर बल्लभगढ़ फरीदाबाद में आज अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ एम पी सिंह के नेतृत्व में राजीव गांधी बलिदान दिवस के साथ नशा मुक्ति का संकल्प लिया गया। इस मौके पर राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ एम पी सिंह ने बताया हर वर्ष 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस (Anti Terrorism Day) मनाया जाता है। इसी दिन यानी 21 मई 1991 को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरुंबुदूर में लिट्‍टे आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी। उस वक्त राजीव गांधी चुनाव प्रचार के सिलसिले में श्रीपेरुंबुदूर गए हुए थे।

इसी दौरान लिट्टे के आतंकवादियों ने इस घटना को अंजाम दिया था। इस हमले में 2 दर्जन से ज्यादा अन्य लोगों की भी मौत हुई थी। तभी से स्वर्गीय राजीव गांधी के सम्मान में और उनको श्रद्धांजलि देने के लिए 21 मई का दिन आतंकवाद विरोधी दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने का उद्देश्य राष्ट्रीय हितों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों, आतंकवाद के कारण आम जनता को हो रहीं परेशानियां, आतंकी हिंसा से दूर रखना है। इसी उद्देश्य से स्कूल-कॉलेज और वि‍श्ववि‍द्यालयों में आतंकवाद और हिं‍सा के खतरों पर परि‍चर्चा, वाद-वि‍वाद, संगोष्ठी, सेमिनार और व्याख्यान आदि का आयोजन कि‍या जाता है। देश के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवार से आने वाले राजीव गांधी की राजनीति में कोई विशेष रुचि नहीं थी। राजनीति में आने से पहले वे एक एयरलाइंस में पायलट की नौकरी करते थे।

1980 में छोटे भाई संजय गांधी की एक हवाई जहाज दुर्घटना में असामयिक मृत्यु के बाद राजीव गांधी ने राजनीति में प्रवेश किया। 1981 में उत्तरप्रदेश की अमेठी सीठ से सांसद बने। 1985 से 1991 तक वे कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को हत्या के बाद राजीव गांधी को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया।

राजीव गांधी बहुत उदार प्रवृति वाले व्यक्ति थे। आधुनिक भारत का शिल्पकार भी कहा जाता है।  फिर भी उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से गहरे अनुभव प्राप्त थे।

इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी इनकी कंधे पर आ गई थी जिसकी वजह से इन्हें राजनीति में आना पड़ा था। जब इंदिराजी की हत्या हुई तो राजीव को उसी दिन प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। वे 31 अक्टूबर 1984 से 1 दिसंबर 1989 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे।

उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया है। भारत में कम्प्यूटर क्रांति लाने वाले राजीव गांधी नेहरू-गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य थे।

21 मई 1991 को श्रीपेरंबदुर में लिट्‍टे द्वारा किए गए आत्मघाती बम विस्फोट में उनकी हत्या तक वे इस पद को सुशोभित करते रहे।

लेकिन आज हम युवा पीड़ी के भविष्य का चिंतन गहनता से करते हैं प्राथमिक सहायता प्रशिक्षणार्थियों ने नशे के विरूद्ध एकजुट होकर काम करने की ठानी 

हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो प्रमुख,फ़रीदाबाद मंडल के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक,हरियाणा पुलिस रोटरी बैंक एवं अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार के विशेष सहयोग से पूरे भारत वर्ष में एक दिवसीय नशा मुक्ति जागरूकता कैंप का आयोजन किया जा रहा है। हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो के जागरूकता कार्यक्रम एवं पुनर्वास प्रभारी डॉ.अशोक कुमार वर्मा इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे हुए थे।

उन्होंने पहले राजीव गांधी जी को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और सम्बोधित करते हुए एनडीपीएस अधिनियम के अंतर्गत प्रतिबंधित मादक पदार्थ एवं नशीली औषधियों का वर्णन करते हुए कहा कि आज के समय में चरस,अफीम,गांजा,चुरा पोस्त और सबसे अधिक भयंकर नशा चिट्टे और हेरोइन का है. इसका सेवन और तस्करी हमारे युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है. उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों के साथ अपने विचार सांझा करते हुए कहा कि कोई भी सामाजिक व्यक्ति इस क्षेत्र में कार्यरत प्रयास संस्था से जुड़कर समाज को सही राह दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने हेल्पलाइन नंबर 9053500093 का वर्णन करते हुए कहा कि इस पर नशे के व्यापार करने वालों की गुप्त सुचना दें और साथ ही नशा छोड़ने वाले व्यक्ति सम्पर्क कर लाभ उठाएं।

उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि प्रत्येक व्यक्ति भारत माता के सच्चे सपूत की भूमिका निभाते हुए एकजुट होकर इस नशे रुपी दानव का संहार करे। डॉ हृदयेश कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ एम पी सिंह ने वर्ष 2020 से नशे के विरुद्ध कमर कैसे हुए हैं और दिन रात अथक परिश्रम कर रहे हैं फलस्वरूप प्रतिदिन नशे के व्यापारियों को सलाखों के पीछे भेजा जा रहा है। इतना ही नहीं उनके प्रयासों से अब तक 382 से अधिक युवा नशा छोड़ चुके हैं जबकि वर्ष 2019 में 458 से अधिक लोगों को नशा मुक्त किया था। कार्यक्रम के अंत में सभी ने जीवन में नशा न करने की शपथ ली।