Tag: आचार्य शिवप्रसाद ममगाईं
मङ्गलाचरण श्लोक,जो मनुष्य के सत्कर्मों में आने वाले विघ्नों का करता...
मंगल आचरण को मंगलाचारण कहतें हैं यह भागवत जी का प्रथम श्लोक मंगलाचरण है। जिस ब्रह्म को जाननें में बड़े ज्ञानी ध्यानी व्यामोहित हो...
आखिर मनुष्य की बुद्धि क्यों होती है भ्रमित,इस भ्रमित बुद्धि को...
ध्यायतो विषयान्पुंस: सग्डंस्तेषूपजायते
सग्डंत्सञ्जायते काम: कामात्क्रोधोभिजायते
सबसे पहले बिषयों का चिन्तन होता है। जिससे आसक्ति उत्पन्न होती है। फलस्वरूप बिषयों की कामना होती है,और कामना मे...
मनुष्य जीवन में अहमता ही रावणत्व है
रावण युद्धोन्माद में संसार में दौड़ लगा रहा था, अकारण धावा बोल रहा था। पर उसे अपने जोड़ का/उसके समान योद्धा नहीं मिले, क्यों?...
भक्ति कितने प्रकार की होती है?
भक्ति कितने प्रकार की होती है? प्राचीन शास्त्रों में भक्ति के 9 प्रकार बताए गए हैं। जिसे नवधा भक्ति कहते है। श्रवणं कीर्तनं विष्णोःस्मरणं...