गढ़वाली गीत-संगीत और रंगकर्म के अदभुत लोक कलाकार रामरतन काला के निधन पर मुख्यमंत्री सहित तमाम लोक संस्कृतिकर्मियों ने जताया शोक

0
2403

गढ़वाली गीत-संगीत और रंगकर्म के अदभुत लोक कलाकार रामरतन काला का हृदयगति रूकने से निधन हो गया है। वे आकाशवाणी और दूरदर्शन के जाने-माने कलाकार रहे। उन्होंने आकाशवाणी नजीबाबाद के ग्राम जगत कार्यक्रम में वे “रारादा” के स्टॉक करेक्टर में सालों भूमिका निभाई। दूरदर्शन देहरादून के कल्याणी कार्यक्रम में वे “मुल्कीदा” की भूमिका में दर्शकों का मनोरंजन करते रहे। रामरतन काला के निधन में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत,पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत और उत्तराखंड के लोक संस्कृति कर्मियों ने गहर शोक जताया।

रामरतन काला का जन्म पदमपुर, कोटद्वार में हुआ था। यहीं उनका बचपन बीता और शिक्षा-दीक्षा हुई। अपनी शिक्षा-दिक्षा के दौराना ही स्कूल में वह हास्य-व्यंग्य वाले गीत गाया करते थे। स्कूल में ही उन्होंने कई नाटकों में भाग लिया। 1985 में लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी के साथ उन्होंने मंच पर  प्रस्तुति दी। इसके बाद उनका कला यात्रा निरंतर जारी रही। वह अक्सर बातचीत के दौरान बताते थे कि “मेरी पहली फिल्म ‘कौथीग’  थी जिसमें मैंने चाचा का रोल किया। वह पात्र आज भी लोगों को बहुत पसंद आता है। उससे पहले या बाद में संस्कृत में सीरियल किया था- ‘शकुंतला’। दिल्ली की कोई टीम थी। फिल्मों का सिलसिला जारी रहा। उम्र बढ़ रही थी। उम्र से हिसाब से छोटे-मोटे रोल मिलते रहे। एलबम का जमाना आ गया है। नरेंद्र सिंह नेगी के बारह-तेरह एलबम मैंने काम किया हैं।

खाडू लापता नाटक का एक दृश्य

रमा रतन काला के अभिनय क्षमता अदभुत और अनूठी थी। आकाशवाणी के रा रा दा ने आकाशवाणी नजीबाबाद के ग्राम जगत कार्यक्रम को नई ऊंचाई दी थी। वे लाजवाब गायक भी थे उनका ‘ब्योलि खुज्ये द्यावा ब्योला बणै द्यावा’ गीत एक समय आकाशवाणी से सर्वाधिक प्रसारित होने वाले गीतों में एक रहा। नरेंद्र सिंह नेगी जी के गीत “दरोल़्या छौं न भंगुल्या भंगल्वड़ा धोल़्यूं छौ कैमा ना बोल्यां भैजी सैणि को मर्यूं छौं “में काला जी के अभिनय का कोई जवाब नही था। ललितमोहन थपलियाल जी का “खाडू लापता” नाटक जैसे उन्हीं को केन्द्र में रखकर लिखा गया हो ऐसा अभिनय करते थे काला जी।

गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने राम रतन काला के आसमिक निधन पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा हैं कि ‘उत्तराखण्ड का बहुचर्चित कलाकार, रंगकर्मी, गायक रामरतन काला जी की निधन की खबर सूणी क् भौत दुःख ह्वै। राम रतन काला जीन् म्यारा भौत गीतों,तेरो मछोई, सूदी नी बौनु, जननी को मरयुं छौ, हल्दी हाथ, तीतरी फसे चखुली फसे, समदोला का द्वी दिन, रॉक एण्ड रोल, सरू तू मेरी, एवं अन्य भौत सुपरहिट गीतों मा एवं विभिन्न मंचों मा अपडू बेहतरीन अभिनय से गढ़वली फिल्म, एल्बम, एवं संगीत जगत मा अमूल्य योगदान दीनि। ऊंका दगड़ी म्यारा बहुत अच्छा पारिवारिक सम्बंध भी छा। रामरतन काला जी थैं भावभिनी श्रद्धांजलि,भगवान ऊंका परिवार थैं ये दुःख सैणे शक्ति द्यो,ॐ शांतिः।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत राम रतन काला जी के निधन पर शोक व्यक्त कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के गढ़वाली संस्कृति के जाने-माने लोक कलाकार राम रतन काला के निधन पर ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि गढ़वाली गीत संगीत और रंगकर्म के प्रसिद्ध लोक कलाकार रामरतन काला का जाना गढ़वाली हास्य कला के एक युग का अवसान है। उनकी अभिनय क्षमता अदभुत अनूठी थी। वह गढ़वाल की संस्कृति के ध्वजवाहक थे। उनकी कमी हमारी लोक संस्कृति को हमेशा खलेगी। इस दुःखद घड़ी में ईश्वर शोकाकुल परिवार को इस दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करें। मृत आत्मा को भगवान अपने श्री चरणों में स्थान दे।