कोरोना काल में धैर्य,सजगता,सक्रियता,वैज्ञानिकता से आगे बढ़े-मोहन भागवत

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कमल किशोर डुकलान

कोरोना संक्रमण के समय गुण-दोषों पर विचार करने के बजाय सभी को दलगत राजनीति से ऊपर भेदभाव भुलाकर इस भयावहता में आम जन को सकारात्मकता का संदेश देना चाहिए तथा आगे के लिए प्रयास करना चाहिए। कोविड-19 महामारी के खिलाफ जारी देश की लड़ाई के बीच समाज में फैल रहे तनाव और नकारात्मकता के मद्देनजर लोगों में विश्वास और सकारात्मकता का भाव जगाने के लिए आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने ‘‘सकारात्मकता असीमित-हम जीतेंगे’’ पिछले 11 मई चल रही व्याख्यान श्रृंखला के अन्तिम दिवस पर आज संघ प्रमुख मोहन भागवत ने राष्ट्र को सम्बोधित किया।

अपने सम्बोधन में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कोरोना संक्रमण की भयावहता में आम जन को सकारात्मकता का संदेश देते हुए कहा कि वर्तमान समय गुण-दोषों पर विचार करने का नहीं है। सभी को दलगत राजनीति से ऊपर भेदभाव भुलाकर आगे क्या प्रयास करने चाहिए।इस निराशा और हताशा के माहौल में हमें निराश होकर रुकना नहीं है बल्कि प्रयास करते रहना है। ‘यूनान,रोम, मिस्र मिट… हस्ती मिटती नहीं हमारी’ प्रचलित वाक्य के माध्यम से उन्होंने कहा कि देश इस संकट से भी उबर जाएगा सामूहिक प्रयास से हमें कोरोना की लड़ाई को धैर्य,सजगता, सक्रियता और वैज्ञानिकता के साथ जीतना होगा और आगे बढ़ना होगा।कोरोना विक्रालता पर उन्होंने कहा कि पहली लहर आने के बाद जनता,सरकार और प्रशासन को गलतफहमी हो गई थी। उसी के चलते दूसरी लहर आयी है और अब वैज्ञानिक तीसरी लहर की भी बात कर रहे हैं। ऐसे में हमें चाहिए कि आगे के मुश्किल समय की अभी से तैयारियां करें।

कोरोना महामारी के चलते अपनों को खोने वाले लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए संघ प्रमुख डॉ भागवत ने संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का उदाहरण देते हुए कहा कि डॉ हेडगेवार ने नागपुर में प्लेग की महामारी के दौरान सेवा कार्य में लगे होने के कारण उस समय उन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया। फिर भी निराश न होते हुए उन्होंने समाज उत्थान का कार्य सतत् जारी रखा। गीता का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए संघ प्रमुख ने इस भीषण भयावहता में भारतीय समाज के उस दृष्टिकोण को आगे रखा जिसमें मृत्यु को केवल शरीर के कपड़े बदलना बताया गया है।

मीडिया के द्वारा समाज में गलत जानकारी के प्रसार को रोकने का अनुरोध करते हुए संघ प्रमुख ने वर्तमान परिस्थितियों में तर्कहीन बयान देने से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हमें इस समय परख कर किसी जानकारी व परामर्श को स्वीकारना चाहिए। आयुर्वेद के संदर्भ में भी उन्होंने इसी को ध्यान में रखने को कहा। उन्होंने लोगों से मास्क का सही उपयोग करने,सही समय पर जांच कराने व डॉक्टरी परामर्श लेने, उचित होने पर ही अस्पताल जाने का आग्रह किया। साथ ही घरों पर रहने वालों को प्रेरित किया कि वह अपना समय परिवार के साथ हंसी खुशी के माहौल में कुछ नया सीखें। अपने उद्बोधन के अंत में संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने एक अंग्रेजी कहावत के माध्यम से कहा कि ‘जीत अंतिम नहीं होती, हार अंत नहीं होती,जरुरी बस इतना है कि हम निरंतर प्रयास करते रहें।