सनातन परम्पराओं का निर्वहन और लोक-कल्याण हमारी कार्यविधि का मूलमंत्र-शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द

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डाक्टर हरीश मैखुरी

देवभूमि उत्तराखंड का जोशीमठ कोई सामान्य नगर नहीं अपितु देश की चार दिशाओं में आद्य शंकराचार्य जी द्वारा घोषित सनातनधर्म की चार राजधानियों में से एक है। इसी गौरव के अनुरूप इसका विकास होना चाहिए। उक्त उद्गार ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज के पट्टशिष्य स्वामिश्रीःअविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ने ज्योतिर्मठ में मठ का संचालन पदभार ग्रहण करते हुये व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि समूचा उत्तराखंड देवभूमि है,और हम इसे प्रणाम करते हैं। यहां की आध्यात्मिकता को बनाये रखने,संस्कृति और परम्पराओं को संरक्षित करने के लिये सबके सहयोग से कार्य किया जायेगा। सभी कार्यों का मूल आधार लोक-कल्याण होगा।

इसी क्रम में निभाई सैकड़ों वर्षों से छूटी परम्परा

स्वामिश्रीःने बताया कि पूज्य शंकराचार्य जी महाराज के आदेशों-निर्देशों के पालनक्रम में ही  भगवान् बदरीनाथ जी के पट बन्द होते समय बदरीनाथ पहुंच कर शंकराचार्य जी की ओर से सत्र की अन्तिम पूजा और फिर शंकराचार्य जी महाराज की पालकी का अनुगमन हमारे द्वारा किया गया है। भविष्य में भी इन परम्पराओं में सम्मिलित होकर हम ज्योतिर्मठ और पूज्य शंकराचार्य जी महाराज की ओर से योगदान करते रहेंगे।

सनातन धर्म के ध्वज को कभी झुकने नहीं देंगे

स्वामिश्रीःने आगे बताया कि पूज्यपाद अनन्तश्रीविभूषित उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज के आदेश से हमने ज्योतिर्मठ आकर पदभार ग्रहण किया है और सनातन धर्म की ध्वजा लहराई है। हम इसे कभी झुकने नहीं देंगे। इस सन्दर्भ में पूज्यपाद शंकराचार्य महाराज श्री के समस्त आदेशों,निर्देशों का पालन करते रहेंगे।सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज को माना है ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य

एक प्रश्न कि ‘वर्तमान में ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य कौन है?’ के उत्तर में स्वामिश्रीःने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय में ज्योतिष्पीठाधीश्वर के रूप में पूज्यपाद अनन्तश्रीविभूषित स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज को ही स्वीकार किया है।

किया ध्यान, पूजन और हुआ भव्य स्वागत

स्वामिश्रीःने ज्योतिर्मठ पहुंच कर सनातन धर्म की ध्वजा लहराते हुये पदभार ग्रहण किया। इससे पूर्व उन्होंने तोटकाचार्य गुफा में आदि शंकराचार्य,ज्योतिर्मठ के प्रथम आचार्य तोटकाचार्य एवं वर्तमान आचार्य की गद्दी की सविधि पूजा की और गुफा में कुछ समय तक ध्यानस्थ रहे। फिर ज्योतिर्मठ की अखण्ड ज्योति का दर्शन किया और राजराजेश्वरी देवी की आरती उतारी।

स्वामिश्रीःके जोशीमठ पहुंचते ही उनका मठवासियों और जोशीमठ के नागरिकों द्वारा भव्य स्वागत किया गया। प्रमुख रूप से सर्वश्री श्रीधरानन्द ब्रह्मचारी, श्रवणानन्द ब्रह्मचारी, सोमेश्वरानन्द ब्रह्मचारी, नगरपालिका अध्यक्ष