Char Dham Yatra 2023:-शीतकाल के लिए बंद हुए भगवान केदारनाथ और मां यमुनोत्री धाम के कपाट,इस वर्ष रिकॉर्ड श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

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11वें ज्योतिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम एवं मां यमुनोत्री धाम के कपाट भैयादूज पर वैदिक मंत्रोच्चार एवं पौराणिक परंपराओं के साथ विधिविधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। बुधवार को सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर विधि-विधान से शीतकाल के लिए भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री केदारनाथ धाम के शीतकाल हेतु बंद कर दिए गए हैं। कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली हजारों तीर्थयात्रियों के साथ सेना के बैंड बाजों के साथ पैदल प्रथम पड़ाव रामपुर के लिए रवाना हो गई है। अब आने वाले छह महीना तक भगवान केदार के दर्शन शीतकालीन गद्यी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर और मां यमुना के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास खुशीमठ (खरसाली) में होंगे।

आपको बता दें कि भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री केदारनाथ धाम के कपाट बुधवार को संपूर्ण विधि-विधान के साथ बंद हुए। इस खास मौके पर केदारनाथ और यमुनोत्री धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ भी उमड़ी। इसी के साथ बाबा केदार और मां यमुना के जयकारों के साथ दोनों धामों के कपाट अगले छह महीने के लिए बंद हो गए हैं। इस वर्ष चारधाम यात्रा-2023 के अंतर्गत रिकॉर्ड संख्या में 19 लाख 50 हज़ार से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए। इसी के साथ यमुनोत्री धाम के दर्शन करने के लिए 735,040 (7 लाख 35 हजार 40 ) श्रद्धालु पहुंचे।
भैयादूज के पावन पर्व पर बुधवार को सुबह 11:57 बजे विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शीतकाल के लिए बंद हुए। अब शीतकाल के लिए 6 माह तक मां यमुना के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास खुशीमठ (खरसाली) में होंगे। आपको बता दें कि भैया दूज के पावन पर्व पर बुधवार सुबह मां यमुना के शीतकालीन प्रवास खरसाली से समेश्वर शनिदेव की डोली यमुनोत्री धाम पहुंची। जहां विधिवत पूजा-अर्चना एवं हवन यज्ञ किया के बाद 11 बजकर 57 मिनट पर अभिजीत मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शीतकाल के लिए यमुनोत्री धाम के कपाट बंद कर दिए गए। जिसी के साथ मां यमुना की डोली यमुनोत्री धाम से शनि देव की डोली की अगुवाई में अपने शीतकालीन प्रवास खुशीमठ पहुंच गयी है।
इस मौके पर यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश उनियाल ने बताया है कि यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद शीतकाल में छह माह तक मां यमुना की पूजा अर्चना उनके शीतकालीन प्रवास खुशीमठ में होगी।